बलिया : बाँसडीह में भूमि सर्वेक्षण को लेकर विवाद गहराया, पुनः सर्वे का ग्रामीणों ने किया विरोध, कब्जे की मान्यता की मांग - Ballia Breaking
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    बलिया : बाँसडीह में भूमि सर्वेक्षण को लेकर विवाद गहराया, पुनः सर्वे का ग्रामीणों ने किया विरोध, कब्जे की मान्यता की मांग




    बाँसडीह (बलिया) । तहसील क्षेत्र के खेवसर गांव में राजस्व विभाग द्वारा भूमि सर्वेक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पूर्व में सन 1975 में हुए पहले सर्वे को 70 प्रतिशत तक गलत पाया गया था। जिसके कारण 2006 में पुनः सर्वेक्षण का आदेश हुआ। इस क्रम ।के खेवसर क्षेत्र में 1378 - 80 फसली के आधार पर किए गए सर्वे को भी त्रुटिपूर्ण बताते हुए राज्यपाल ने निरस्त कर दिया था। बावजूद इसके तत्कालीन बांसडीह एसडीएम ने 1408 से 1413 फसली की रिपोर्ट लगाकर उसी आधार पर खतौनी तैयार करवायी। जिसे ग्रामीण पहले से ही गलत मानते आ रहे हैं। अब 2025 में पुनः सर्वे का कार्य शुरू किया गया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र के 76 एकड़ भूमि को "नई परती" के खाते में डाल दिया गया है, जबकि उक्त भूमि पर कई काश्तकार लंबे समय से अपनी खेती कर रहे हैं। मौके पर पहुंचे कानूनगो ने काश्तकारों के कब्जे की पुष्टि की, लेकिन प्रपत्र-9 पर कब्जा दर्ज नहीं किया गया। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा पर्ची वितरण किया जा रहा है। जिसका पूरा गांव विरोध कर रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पुराने गलत सर्वे को आधार न बनाया जाए और वास्तविक कब्जाधारकों को उनका अधिकार दिया जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन से निष्पक्ष निर्णय लेने की मांग की  ताकि किसानों को उनका हक मिल सके और विवाद समाप्त हो। ग्रामवासियों का स्पष्ट कहना है कि जब तक नई परती पर कब्जा दर्ज नहीं किया जाता। तब तक वे पर्ची स्वीकार नहीं करेंगे। इस विरोध प्रदर्शन में दीनानाथ सिंह, शंभू सिंह, वीरेंद्र सिंह, श्री राम सिंह, जयराम सिंह, भोला पांडे, अवध कुमार पुरी, लव कुमार सिंह, अर्जुन सिंह, भूलन यादव, चंद्रमा यादव, लक्ष्मण पांडे, फुलझड़ी देवी, सच्चिदानंद, सुदामा राजभर, सरोज सिंह, धनजी वर्मा, सत्येंद्र सिंह, संजय सिंह, सबदेव सिंह, विश्वनाथ पांडे, विनोद पांडे, सत्यनारायण यादव, प्रेम शंकर चौहान, भीम शंकर चौहान, सुदर्शन चौहान, प्रभुनाथ सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

    इस संबंध में एसडीएम बांसडीह अभिषेक प्रियदर्शी ने बताया कि उक्त सर्वे की टीम का तहसील प्रशासन से कोई संबंध नही है। वह टीम राजस्व परिषद निर्देश पर स्वतंत्र रूप से कार्य करती है। किसी प्रकार की समस्या होंगी तो किसानों व उच्चाधिकारियों से वार्ता कर उसका निराकरण किया जाएगा।