बलिया : बांसडीह तहसील में भ्रष्टाचार और मुआवजे में देरी के खिलाफ पूर्व जि पं सदस्य ने खोला मोर्चा
बांसडीह (बलिया)। पूर्व जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष नागेंद्र बहादुर सिंह 'झुन्नू' ने मंगलवार को एसडीएम बांसडीह को एक पत्र सौंपकर तहसील प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने जहां एक तरफ हालिया मोंथा चक्रवात से प्रभावित किसानों को मुआवजा न मिलने पर गहरी नाराजगी जताई है, वहीं दूसरी ओर बांसडीह तहसील को 'भ्रष्टाचार का केंद्र' बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
पत्र में कहा कि बीते दिनों आए मोंथा चक्रवात ने किसानों की साल भर की कमाई को खेतों में सड़ा दिया है। किसानों द्वारा काट कर रखी गई फसलें भी बारिश की चपेट में आकर खेतों में ही रह गईं और अब अनाज अंकुरित होने लगा है। पूर्व में प्रशासन को पीड़ित किसानों का सर्वे कराने हेतु अवगत कराया गया था। परंतु इसके बावजूद आधे से अधिक किसानों का, जिनकी फसलें अभी भी खेतों में गिरी हुई हैं। लेखपाल द्वारा अभी तक सर्वे नहीं किया गया है। उन्होंने तत्काल सभी पीड़ित किसानों का मुआयना कराने और मुआवजे की राशि उनके खातों में भेजने की मांग की है।तहसील प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि बांसडीह तहसील को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया गया है।
उन्होंने प्रमाण पत्रों को लेकर चल रही अवैध वसूली पर सीधा निशाना साधा है।आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाणपत्र और ईडब्ल्यूएस जैसे आवश्यक प्रमाण पत्रों को बनवाने के नाम पर अवैध धन उगाही की जा रही है। लेखपालों द्वारा वरासत के नाम पर और खतौनी में आदेश हुए नामों को मुख्य कड़ी में लाने के लिए प्रति मौजा एक फिक्स रकम की मांग रखी जा रही है। जिससे आम गरीब जनता सताई जा रही है।
प्रशासन से लोकहित में निम्नलिखित चार सूत्रीय मांगों को त्वरित पूरा करने की मांग करते हुए कहा गया कि मोंथा चक्रवात से पीड़ित सभी किसानों का मुआयना कराया जाए और तत्काल मुआवजा उनके खातों में भेजा जाए।
तहसील में किसी भी प्रमाण पत्र के नाम पर अवैध वसूली पूर्णतः बंद हो और प्रमाण पत्रों को पूरा करने के लिए निश्चित समय अवधि तय की जाए। वरासत और खतौनी संबंधी कार्यों के लिए हो रही अवैध वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाए।अवैध वसूली कर रहे भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को चिंहित कर उन पर कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए।
पत्र के अंत में उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो किसान नौजवान सड़कों पर उतरकर गांधीवादी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी तहसील की होगी। इस दौरान आदित्य योगी, अशोक सिंह, लवकुश सिंह, प्रभात मौर्या, वीरेंद्र यादव, पिंटू तिवारी, गब्बर शुक्ला, नितेश पांडे समेत काफी संख्या में क्षेत्रीय किसान व युवा मौजूद रहे।



